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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

सुख-दुख घटते-बढ़ते जीवन में

सुख-दुख घटते-बढ़ते जीवन में

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सुख-दुख घटते-बढ़ते जीवन में,

यह चांद हमको देता है शिक्षा।

सुखद चांदनी मिलती वसुधा पर,

सह सूर्य तपन की कठिन परीक्षा।


अमावस के सम चीर गर्भ का तम,

प्रभु इच्छा से इस धरा पर आते हम।

मयंक की भांति होता क्रमिक विकास,

कृष्ण-शुक्ल अष्टमी बीच होता है खास।

निज जीवन लक्ष्य साधने हित सुसमय है,

सदुपयोग करें शक्ति पूर्ण करने हरि इच्छा।


सुख-दुख घटते-बढ़ते जीवन में,

यह चांद हमको देता है शिक्षा।

सुखद चांदनी मिलती वसुधा पर,

सह सूर्य तपन की कठिन परीक्षा।


एक ही सूरज के ताप का वसुधा पर,

विविध मौसम में भिन्न होता अहसास।

बदल जाएगा प्रभाव हमारी शक्ति का,

स्थल के अनुरूप ध्यान रखें यह खास।

माया के प्रभाव से होती हमारी चाहत,

होता सदा श्रेष्ठतम जैसी प्रभु इच्छा।


सुख-दुख घटते-बढ़ते जीवन में,

यह चांद हमको देता है शिक्षा।

सुखद चांदनी मिलती वसुधा पर,

सह सूर्य तपन की कठिन परीक्षा।


सम्पूर्ण जगत के हित की खातिर तो,

गरल पान कर गये देवाधिदेव महेश ।

खुद जलना है प्रकाशित करने जग को,

दीपक और सूरज का यही है संदेश।

हर हालत में ही समभाव रखें हम सब,

दुख के क्षण होते हैं धीरज की परीक्षा।


सुख-दुख घटते-बढ़ते जीवन में,

यह चांद हमको देता है शिक्षा।

सुखद चांदनी मिलती वसुधा पर,

सह सूर्य तपन की कठिन परीक्षा।


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