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Aishani Aishani

Abstract

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Aishani Aishani

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अखण्ड भारत..!

अखण्ड भारत..!

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विविध भाषा, 

विविध बोली

विविध है वेश भूषा

पर.. 

अपना भारत एक..! 

विविध धर्म

विविध है जाति

विविध रस्म

रिवाज विविध

पर.. 

भाव सबमें एक

अपना भारत एक..! 

भले लड़े सब आपस में

अंतर्द्वन्द चल रहा कहीं

जो दुश्मन उठाये आँखें

तो फिर.. 

हो जाते सब एक

अपना भारत एक..! 

खान पान है लिय विविधता

वाणी में जो घुले मिठास

चाहूँ ओर फैले उसका आभास

बाहर से दिखे सबको

खण्ड खण्ड जो दिखे बाहर से

अंदर देखो हैं अखंड

ये नेक भारत है 

ये एक भारत है..! 


गीता और कुरान यहाँ

बाइबिल और गुरुग्रंथ भी

मंदिर मस्ज़िद है यहीं

गिरजा और गुरु द्वारा भी

ईश्वर अल्लाह जिसस वाहेगुरु

:विविध तरीके से सब करते अजान

रास्ते सबके है एक

अपना भारत नेक

अपना भारत एe..! 

कह गए थे गोरे ये बात

भारत में है विविधता

नहीं बनेगा कभी एक भारत

मर मिटेगा आपस में 

पर..

नहीं मिटा यह विश्व पटल से

नही मिटेगा किसी के गलत इरादे से

ना यकीं आये तो

पूछ लेना मुगलों और लोदियों से

कहाँ गया वो सिकंदर 

आया जो स्वप्न लेकर भारत मिटाने

यह है अपना अखंड भारत...! 

महिमा इसकी है वेदों में

गान इसका है गाये उपनिषद

स्वयं आये ईश्वर यहाँ पर

माटी में इसके खेलने को

यहाँ खेतों में है प्यार उपजता

नफ़रत को लोग पी जाते हैं

कुछ भी करना पर

इसकी एकता खंडित ना हो

यह है अपना नेक भारत

सबको प्रिय प्राणो से भी

एक भारत..! एक भारत..! 

जय भारत..! विजय भारत..!! 


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