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Rajiv Jiya Kumar

Abstract

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Rajiv Jiya Kumar

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लाल लाल लाल ===========

लाल लाल लाल ===========

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उमंग भर कर लाई झोली

रंग बिरंग की सज गई रंगोली

लगे ऐसा जैसे आज है होली और दिवाली 

ठुुमक ठुमक थिरकती अपनों की टोली

जश्न सजा हर चेहरे पर संंग लेकर लाली

संंग संग गूँज रही थी हसीन एक किलकारी

सर्व शक्ति की यह थी सजीव कलाकारी।

बढती चली जीवन की गाङी

पिछङी कभी,कभी रही अगाड़ी

सिर पर ताने मोटी एक पगड़ी

धूूप में,छांव में,आँँधी और बरसात में

करी गई खूब खूब रगड़ा रगड़ी

पहुँचना था उस मुकाम तक कही गई जो कड़ी

पर निगाहेें अगणित  की रही उस पर हीं 

त्याग, तपस्या,समाधि व्रत, उपवास 

संंवार जीत लेेकर आ हीं गई पास 

उल्लास फिर तो मानो परवान चढी

कितनी खूबी से तूने यह लड़ाई लड़ी ।।

लाल लाल लाल कर दिया खूब कमाल

हुुए खुशी से सब सब मालामाल 

वक्त नें बुना जो भी जाल 

बना डाला उसे ऐसा अद्भूत वह ढाल

तले जिसके जीव आश्रित आए सारे हिलमिल 

कर दी आसां जीवन की हर थपक और ताल।।

लाल लाल लाल तू बेमिसाल 

समझता तू हर हाल और चाल,

लाल लाल लाल रखा तूूूने बहुत ख्याल,

लाल लाल लाल कर देना हवाले अनल के

होकर रह जाऊँ जब लाचार बेहाल,

लाल लाल लाल 

लाल लाल लाल।।

        


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