यह यक्ष प्रश्न।=========
यह यक्ष प्रश्न।=========
आसमां है यह अबूझ खूब
गढ़ रखें धरा पर इसने ही
दिखते जितने रंग और रूप,
पर क्या खेल इसने खेल डाली है
रख दी हर झोली खाली है।।
हर कली खिला बना सजी फली
हर होंठों पर हँसी सजा लाता है
ठुमक उठते हैं ढोल और ताशे
पर हर तान के पीछे छिपे दर्द को
सहजता से इसे झट छिपा जाता है।।
थपकी दे दे हर कदम ताल
अगम्य वह बुनता
सबके लिए एक जाल
फिर इस जाल से एक अलग कर
कैसे वह खुश हो लेता है
कैसे वह खुश हो लेता है।।
यह यक्ष प्रश्न फिर सामने है
जब सब उसके नाम से है
फिर वह एक एक क्यूँ लेता है
कुनबा उसका पूरा का पूरा क्या
इसी तरह छीन छीन खुश होता है।।