ना दिल में ना कपार में
ना दिल में ना कपार में
ना दिल में ना कपार में
कभी तो आओ रानी हमरी बिहार में
धुर्रा उड़ा के तुम चलती हो
हम लौड़ों का दिल धड़काती हो…
बयालीस किलो तेरा वज़न है
उसपर हाई हिल्स पहनती हो
तुम्हें देखते ही हम शाहरुख हो गये
फटीचर थे शायर हो गये…
मेरा दोस्त लोग तुमको भाभी बोलता है
तेरी बहिन को हमरी शाली बोलता है
तुमरे लिए चांद-तारे तोड़ के लायेंगें
जो तुमको छेड़ेगा उसका सर फोड़ आएंगे
जाना पता हम तुमपे कितना मरते हैं
पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं
जितनी लइकी तेरी जेडी. वुमनस् कालेज में नहीं होगी
उतने पंटर हमारे पटना- दानापुर में घुमते है।
सुन ओ मराठी मुलगी
खोलो अपनी दिल की खिड़की
अपनी एक्स से भी ज्यादा लव तुझे करते हैं
पटना आने का न्योता तुम्हें देते है।
कर्मभूमि एक्सप्रेस से सीधा पटना उतर जाना
कहीं मत रूकना जंक्शन से बाहर निकल जाना
वरना पंडा तुमको पकड़ लेना…
धागा बांध के प्रसाद खिला के
तुमसे दक्षिणा लपेट लेगा…
हनुमान मंदिर पे रूककर नारंगी जूस लेना
गर्मी में जूस पीके मज़ा आ जाएगा
पसीने बदन पर नशा छा जाएगा
वहां से आंटो पकड़ सीधा गांधी-मैदान चली आना
डिस्कोमाल भवन के पास उतर जाना
वहां से तुमको पिक कर लेगें
मौका देखकर हगी और किस कर देगें…
ना दिल में ना कपार में
कभी तो आओ रानी हमरी बिहार में।
