ओ पंछी रे...
ओ पंछी रे...
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ओ पंछी रे....
मार खंजर सीने में उड़ गयो रे....
नैना बरसे सावन-भादो...
जियरा तरसे रे...हाय रे...
मैं दीवानी...कर गयी नादानी
दिल के हाथों मजबूर हो के...
ओ पंछी रे........3
काहे को लगायी लगन रे...
छूटा घर-आंगन रे....
बातें तेरी....जैसे मुरली-मनोहर की
मुरलियां...... मुरलियां....
बन बैठी जोगन...प्रीत लगा के सांवरिया.... सांवरिया
न आया न कोई संदेशा न कोई खत़ रे.....
बिरहा की मारी मैं बंजारन प्यासी
जां दे-दूंगी....सर पटक-पटक के...
ओ पंछी रे....
मार खंजर सीने में उड़ गयो रे....
