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Go-Go Gourav

Romance

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Go-Go Gourav

Romance

अल्फ़ाज़ मेरे

अल्फ़ाज़ मेरे

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अल्फ़ाज़ मेरे जो कह न सके

उसे सुन भी ले आंखों से जरा

ये कैसी कशिश...ये कैसी उलझन


दिन रात मुझे तड़पाए बड़ा

इश्क की ये लगन ऐसी लगी है

जितना मैं बुझाऊं उतनी जलती है....


इश्क की ये लगन ऐसी लगी है

जितना मैं बुझाऊं उतनी जलती है....


तुम हो सामने लव खामोश है..

बढ़ रही धकड़नें और दिल चुप है

तुम हुए बेवफ़ा तो कुछ गम़ नहीं

तुम हुए अजनबी ये चुभती है।


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