देश जोड़ो अभियान
देश जोड़ो अभियान
सुना है कि "खानदानी लाल" आजकल देश जोड़ने निकले हैं ।
उनके पुरखों ने इस देश को इतना तोड़ा है कि शायद इसे अब और तोड़ा नहीं जा सकता है ।
इसलिए देश को तोड़ने से पहले देश को जोड़ना जरूरी है।
जब देश फिर से जुड़ जायेगा तब इसे अच्छी तरह से फिर से तोड़ा जा सकेगा ।
शायद यही सोचकर वे अपने "मिशन" पर निकले हैं ।
जो व्यक्ति देश को एक "राष्ट्र" नहीं मानता वह "देश जोड़ो अभियान" पर निकला है ।
देश को अपनी जागीर समझता है और शायद लोगों को मूर्ख।
तभी तो धर्मनिरपेक्षता के झंडे तले "तुष्टीकरण" की दुकान सजाए बैठे हैं ।
लोगों को जातियों में विभाजित करके सत्ता की आस लगाए बैठे हैं ।
कभी भाषा रूपी हथियार से तो कभी क्षेत्रीयता के वार से भरपूर प्रहार किए बैठे हैं ।
ऐसे लोग देश को जोड़ने की बात किया करते हैं ।
देश का जिनको ज्ञान नहीं ।
देश पर जिन्हें अभिमान नहीं ।
देश का करते कभी सम्मान नहीं ।
ऐसे लोग देश जोड़ने के लिए निकले हैं ।
परिवार ही जिनका देश है ।
सत्ता ही जिनका ध्येय है ।
भ्रष्टाचार ही जिनका उद्देश्य है ।
ऐसे लोग देश जोड़ने निकले हैं ।
भेड़ की खाल में भेड़िए हैं ।
दुश्मन देशों के भेदिए हैं ।
अब तक केवल अपने लिए जिए हैं ।
वे लोग देश के लिए निकले हैं ।
खुद को देश से बड़ा बनाया ।
ईको सिस्टम खूब बनाया ।
जनता को अब तक मूर्ख बनाया ।
वो देश के लिए निकले हैं ।
वाकई , कितने अजीब फैसले हैं ।
देश तोड़ने वाले मेरे देश के लिए निकले हैं ।
