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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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देश जोड़ो अभियान

देश जोड़ो अभियान

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सुना है कि "खानदानी लाल" आजकल देश जोड़ने निकले हैं ।

उनके पुरखों ने इस देश को इतना तोड़ा है कि शायद इसे अब और तोड़ा नहीं जा सकता है ।

इसलिए देश को तोड़ने से पहले देश को जोड़ना जरूरी है। 

जब देश फिर से जुड़ जायेगा तब इसे अच्छी तरह से फिर से तोड़ा जा सकेगा । 

शायद यही सोचकर वे अपने "मिशन" पर निकले हैं ।

जो व्यक्ति देश को एक "राष्ट्र" नहीं मानता वह "देश जोड़ो अभियान" पर निकला है ।

देश को अपनी जागीर समझता है और शायद लोगों को मूर्ख। 

तभी तो धर्मनिरपेक्षता के झंडे तले "तुष्टीकरण" की दुकान सजाए बैठे हैं ।

लोगों को जातियों में विभाजित करके सत्ता की आस लगाए बैठे हैं ।

कभी भाषा रूपी हथियार से तो कभी क्षेत्रीयता के वार से भरपूर प्रहार किए बैठे हैं ।

ऐसे लोग देश को जोड़ने की बात किया करते हैं । 


देश का जिनको ज्ञान नहीं ।

देश पर जिन्हें अभिमान नहीं ।

देश का करते कभी सम्मान नहीं ।

ऐसे लोग देश जोड़ने के लिए निकले हैं ।

परिवार ही जिनका देश है ।

सत्ता ही जिनका ध्येय है ।

भ्रष्टाचार ही जिनका उद्देश्य है ।

ऐसे लोग देश जोड़ने निकले हैं । 


भेड़ की खाल में भेड़िए हैं ।

दुश्मन देशों के भेदिए हैं ।

अब तक केवल अपने लिए जिए हैं ।

वे लोग देश के लिए निकले हैं ।

खुद को देश से बड़ा बनाया ।

ईको सिस्टम खूब बनाया ।

जनता को अब तक मूर्ख बनाया ।

वो देश के लिए निकले हैं ।

वाकई , कितने अजीब फैसले हैं ।

देश तोड़ने वाले मेरे देश के लिए निकले हैं । 



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