STORYMIRROR

नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Abstract

3  

नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Abstract

साड़ी का अखंड क्रीतन

साड़ी का अखंड क्रीतन

2 mins
208

साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


सृष्टि सार अमृत 

अलादीनी चिराग

साड़ी एक शब्द

नचा रहा संसार 


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


साड़ी रहस्य वह

समझे बुझे जीता 

 वह सारा संसार 


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


लपेट लपेट कर

साड़ी खुद पे टांगना

सुन्दरता की शर्त

साथ ही इठलाना

काम कम जादू नहीं


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


धोने में मारक

चरक लगाओ 

छूट जाएं पसीने 

प्रेस करो नानी याद

मैचिंग की जुगाड

आठ दिन भी कम


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


खरीदो तो बाजार

डोले सात समंदर

उजबक झोल शोरूम 

लटकती लुभाती साड़िया 

घर कित्ती आलमारिया

भरी पड़ी साड़िया कित्ती


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


कित्ती साड़ी लोगी इ....त्ती

पुरानी फेंकी जाती नहीं

नई पे नई खरीदी जाती

घर बना माल गोदाम


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


साड़ियों की जंग

साड़ियों की दुकान

श्री साड़ी अभियान

रेशमी सूती जार्जेट

शिफॉन क्रेप लिलन

जुटा साड़ियों की परेड


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


पल्लू बॉडर पैटर्न

कढ़ाई जरी कांता

स्वर बिखरे साड़ी

साड़ी की शैलियां

पत्नी श्री नित्य करे

पति बेचारा उपेक्षित


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


कोने गठरी बन सड़ा

साड़िया बिखरवाती

भैया दिखाना हां यही 

कांजी वरम चाहिए 

नहीं ज्यादा बढ़िया


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


हां वो दिखाओ

बनारसी साड़ी

सोने चांदी जरी

ठीक नहीं इसपे

पटोला रेशम धागे

हकोबा चंदेरी साड़ी

ये माहेश्वरी साड़ी 

 दिखाते जाओ


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


बेचारा दुकानदार 

दिखाते जा रहा

पति मरे उल्लू सा

मुस्कराते जा रहा


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


माहेश्वरी दो सौ

काउंट के धागे

फिर भी ये मोटा

एक काम करो

बोमकई दिखाओ


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


अरे हां वही जो पहनी

ऐश्वरिया अपने शादी

छोड़ो बनी मशीन की

पत्नी श्री की उंगलियां

साड़ी दुकानदार पतिदेव

तीनों साथ कर रहे नित्य


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


ये राजस्थानी बंधेज

बंधेज रंग छूट रहा

इसमें तस्कर वाली

सिल्क काम बेकार


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


डिजाइन भी पुरानी

वो कांथा साड़ी वही 

जो सबसे ऊपर पड़ी

पैठानी जामदानी 

बालुछरी कांथा टगैल 

पल्लू कुछ खास नहीं

वो नववारी पाताल

घनियाकली फुलकारी

सबंलपूरी दिखाओ 


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


दिखाई फैलाई जा रही

ऊपर नीचे दाए बाए 

आगे पीछे दुकानदार 

मरा हाफ रहा साड़ी 

बनी साड़ी की पहाड़ 

श्री पताका फहरा रही


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी


ये ठीक नहीं प्रिंट छोटा

बॉडर खास पल्लू बेकार

दिखाओ और दिखाओ

साड़ी अखंड क्रीतन धुन

ब्रह्म वाक्य साड़ी शोरूम 

गूंज रहा बेचारा पति 

लाश बुत बन सुन रहा


साड़ी है की नारी

नारी है की साड़ी

साड़ी विच नारी

नारी विच साड़ी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract