दान मे मिली गाय
दान मे मिली गाय
किशोरी एक गाय दान में लेकर आए,
दिए हुए दान का महिमा गुणगान गाए।
गाय का मोल ना कर पाए,
दांत गिन कर आयु का पता लगाएं ।
दान में मिली गाय का यह मोल ना कर पाए,
खाना भी भरपेट ना दे पाए ।
कुछ समय पश्चात ही किशोरी जी की मां चल बसी,
उनके घर जो पंडित आए,
उनकी एक गाय पसंद करकेे हांक कर अपनेेेेे घर ले जाये ।
किशोरी अपनी गाय के दुख में एक निवाला भी मुंह में ना डाल पाए ।
बचपन से जिस गाय को पाल पोस कर बड़ा किया था
वो यह दूसरे को दे आए ।
किशोरी अपने ही दुख में इतनी बेहाल हुए,
कि दान में दी गाय का गुणगाान यह खूब गाएं
अपनी गाय को यह भूल ना पाए ।
किशोरी की पत्नी भी पड़ोसियोंं के सामने दान में दी हुई
गाय का गुणगान गाती,
जिस गाय को दान में पाया था,
उसका पेट भर खाना भी ना दे पाती
उसके किए गए गोबार का हिसाब बताती ।
दान में पाए पुण्य का हिसाब ना रख पाती,
दूध पीते घी बनाती दही खाती पनीर बनाती,
पर उस गाय का पेट भर खाना ना दे पाती ।
एक दिन गाय हो गई बीमार गाय की आंखोंं से बहने
लगे पानी, किशोरी जी को याद आ गई नानी ।
जिस सेठ ने किशोरी को दी थी गाय दान में,
देखने आया जब वह अपनी गाय,
गाय को बेहोश देखकर, उड़ गए उसके होश
जिसनेे पाला था बचपन से उसको छाती पीट-पीट रोया ।
डॉक्टर बुलाया झटपट सेठ ने गाय के ठीक होते
ही सेठ लेेेेेेे गया,
गाय को अपने घर मै खान पानी अच्छा खाकर गाय हष्ट पुष्ट हुई ।
अब चले आए किशोरी अपनी गाय को लेने
गाय ने जाने से किशोरी के साथ इनकार किया,
लाठी लेकर आए किशोरी किया,
अत्याचार गाय पर किया,
सेठ तभी पुलिस लेकर आया,
किशोरी को सबक सिखाया।
पुलिस वालों ने भी किशोरी पर डंडे बरसाए,
आप किशोरी डंडे खाएं गाय पर में किए गए अत्याचार का हिसाब इनको मिल जाए ।
दान में मिली चीजों का लोग मोल नहीं कर पाते,
गाय हो या लड़की एक ही तराजू में तौल है जाते,
अपने दिए दान का गुणगान है गाते,
दान में मिली वस्तु का मोल नहीं कर पाते ।