Shweta Rani Dwivedi

Drama

4.7  

Shweta Rani Dwivedi

Drama

"जब मैं कमाऊंगा"

"जब मैं कमाऊंगा"

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जो कहता था जिस दिन मैं कमाऊंगा,

माँ तेरे लिए बहुत बड़ा  घर बनवाऊंगा,

कमाने के बाद भी वह दूसरे के घर

पर अधिकार जताते ।


जो कहता था जिस दिन मैं कमाऊंगा,

माँ तेरे लिए  आटा चक्की लाऊंगा,

मां के पेंशन का पैसा खाता,

गेहूं में घुन की तरह मां को पिसता चला जाते ।


जो कहता था जिस दिन मैं कमाऊंगा,

मां तेरे लिए भाई से बड़ा घर बनवाऊंगा,

भैया भाभी के घर में रहकर उनको ताने सुनाते ,

कमाकर कई साल बाद भी अपनी मां के लिए

एक घर नहीं बना पाते ।


 जो कहता था जिस दिन मैं कमाऊंगा,

 भैया पासपोर्ट बनवाया है पर तेरे लिए गदा नहीं लाया 

 मैं जब  कमाऊंगा,

तेरे लिए गदा लाऊंगा,

 जब वही लड़का कमाया,

बैठ के दूसरे का अधिकार खाया,

किसी का क्या करेगा,

 वह सब दूसरों के घर में रहकर उनको ताने सुनाते ।


जो कहता था मैं जब  कमाऊंगा,

 मां तुझे कार में घुमाऊंगा,

 तब कौन जानता था वही लड़का 

 पेंशन का पैसा खुद रखकर

 मां को उंगलियों में घुमाऐगा |


 जो कहता था मैं जब कमाऊंगा,

 कहकर मां का कान भर जाते,

 बहन,भाई, भाभी सबको मां की नजर में बुरा बनाते,

 खुद अच्छे बनने का ढोंग रचाते

 मां के कंधे पर रख बंदूक जुबान में देकर शब्द

यह बंदूक चलाते पर यह बात सब समझ ना पाते |


 जो कहता था मैं जब कमाऊंगा,

 घमंड के ताने मारा  करता था,

 अब वह कमाता है लाखों की सैलरी

पाने पर भी कुछ नहीं कर पाते ।


 बड़े से बड़े रावण का घमंड भी

 एक दिन उतर जाता है,

 घमंड में आकर देने करने

वाले को ताने ना सुनाइऐ,

 यह ताने आपको ऊपर ना उठाएंगे

 बल्कि आप खुद दूसरों की आंखों में नीचे गिर जाएंगे ।


 दूसरों का अधिकार खाकर

आप बड़े नहीं बन जाएंगे,

 ताने सुना कर आप अपने

मन की संतुष्टि ही कर पाएंगे।


 ऐसे लोग कुछ बना नहीं पाते

 अपनी शेखी बघारने के लिए

बस दूसरों को ताने सुनाते।



" करके देने वाले सुनाया नहीं करते वे करते चले जाते हैं,

 शेखी बघार ने वाले उन बादलों की तरह होते हैं जो

गरजते तो है पर बरसते नहीं " 


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