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kavindra kumar mishra

Drama

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kavindra kumar mishra

Drama

हिन्दी दिवस

हिन्दी दिवस

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हिंदी दिवस हफ़्ता पखवाड़ा 

मनें तमाशे खेल में

तभी सशक्त हिन्दी बेचारी 

प्यासी अंग्रेजी रेल में


अंग्रेज यहां से भाग चले 

अंग्रेजी घंटी छोड़ गये

उस घंटी पर पागल हम 

मुख हिंदी से मोड़ गये


हम हिंदी को स्वयं भूलकर 

अंग्रेजी में हीं टाँक रहे

बहुत बड़ी है भूल हमारी 

हिंदी कमतर खुद आँक रहे


ऐसे कैसे बढ़ेगी हिन्दी 

दिवस मनाकर भाग गये

हिंदी मन जन जीवन हो 

संकल्प लिया अब जाग गये


भारत के जनगण की वाणी 

लेखन हिंदी प्रबलित हो

हिंदी मात्र विकल्प करें 

हर भाषा भाषी को विदित हो


अनुपालन अनुशीलन हो तो 

प्रण हिंदी के हित

सक्षम सबल हिंदी वैज्ञानिक 

ना भारत तक विरमित हो !


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