किसान
किसान
कर्मवीर कर्मोद्यत प्रतिपल हरक्षण समय समान
प्रोद्यत पूर्व प्रसून जो कर्म निरत वो किसान.!!
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क्षमता बल पौरुष से अपनी
करता अन्न प्रदान
शीत ग्रीष्म पावस की ऋतुएँ
जिसके लिए समान..!!
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ऊर्जा प्रबल प्रवाहित जिसमें
बंधु वही किसान
पारस पत्थर जैसी ऊर्जा मृदा बदलता कनक किसान...!!
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धरतीपुञका अर्चन पूजन औ
अभिनंदन हो सम्मान
ईश्वर का प्रतिरूप धरा पर
होता यही किसान.....!!
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कष्ट भयालु हो सम्मुख जिसके
कर्मवीर किसान
पर जीवन सुखप्रद करता जो
परम दयालु किसान.....!!
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अतुलनीय अनुपम कृति विधि की सर्वोत्तम है महान
कृषक कथा "कवि" की मनुजो
कर्ण खोल दो ध्यान......!!