उठा, शस्त्र संभाल, फैला भुजाएं विशाल ! अपने-स्वयं को तू सिद्ध कर, अशुभ का तू वध कर ! उठा, शस्त्र संभाल, फैला भुजाएं विशाल ! अपने-स्वयं को तू सिद्ध कर, अशुभ ...
इस उलझी सी दुनिया में, क्यों बेआस हूँ मैं क्यों बेजान हूँ मैं ......... इस उलझी सी दुनिया में, क्यों बेआस हूँ मैं क्यों बेजान हूँ मैं .........
मन चंचल है, मन चोर है मन को वश में रखिये, मन चंचल है, मन चोर है मन को वश में रखिये,
प्रेम के कई रंग है वो कमज़ोर बनता है तो मज़बूत भी बना देता है प्रेम के कई रंग है वो कमज़ोर बनता है तो मज़बूत भी बना देता है
हल्के-हल्के मुश्किल बाधाओं को पार करते हैं दुनिया की बड़ी महफ़िल में अपना मान बढ़ाते ह हल्के-हल्के मुश्किल बाधाओं को पार करते हैं दुनिया की बड़ी महफ़िल में अपना मान...
सक्षम सबल हिंदी वैज्ञानिक ना भारत तक विरमित हो ! सक्षम सबल हिंदी वैज्ञानिक ना भारत तक विरमित हो !