आखिर क्यों .......
आखिर क्यों .......
क्यों खिन्न हूँ, क्यों भिन्न हूँ
क्यों विच्छिन्न हूँ मैं
क्यों आक्रोश में, क्यों हूँ शोध में
क्यों हूँ मैं, गहरी सोच में
क्यों हैरान हूँ,क्यों परेशान हूँ
क्यों गुमनाम हूँ मैं
क्यों चपल नहीं, क्यों सबल नहीं
क्यों वीरान हूँ मैं
दिल में बातें छुपाए, आँखों में आंसू समेटे
क्यों सुनसान हूँ मैं
क्यों विश्वास में , गहरी आस में
क्यों उड़ान की ही प्यास में
क्यों अनजान हूँ मैं, क्यों बेजान हूँ मैं
क्यों हताश हूँ मैं, ना जाने क्यों निराश हूँ मैं
इस उलझी सी दुनिया में, क्यों बेआस हूँ मैं
क्यों बेजान हूँ मैं .........
