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Riya yogi

Tragedy

4  

Riya yogi

Tragedy

प्रेम या फरेब

प्रेम या फरेब

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उसने सिर्फ जिस्म को चाहा है मेरे,

कभी मन को पढ़ा नहीं,

उसने आँखों को देखा है मेरी,

आँखों में छुपे अश्कों को उसने देखा नहीं, 


उसने होंठो को छुआ है मेरे,

उन में छुपी ख़ामोशी को उसने सुना नहीं,

उसने सिर्फ जिस्म को चाहा है मेरे,

कभी मन को पढ़ा नहीं,


उसने जुल्फों को छुआ है मेरी,

मुझ पर छाया अँधेरा उसे दिखा नहीं, 

उसने सिर्फ जिस्म को चाहा है मेरे, 

रूह से मुझे कभी उसने जाना ही नहीं।


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