गुरुवर ........
गुरुवर ........
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बिन गुरु मिले न ज्ञान
बिन शिक्षा मिले न सम्मान
बिन गुरुवर हम सीख न पाए
अक्षर और शब्द का ज्ञान
बिन गुरुवर हम समझ न पाए
सही और गलत में पहचान
गुरु ही मेरे मुझे बताये मेरे लक्ष्य की पहचान
गुरुवर मेरे सीप के मोती
जिसकी समंदर में भरी है खान
मेरे गुरुवर प्रकाश की ज्योति
चहुँ ओर फैली है जिनकी ज्योति
ऐसे गुरुवर को मेरा कोटि कोटि प्रणाम।
