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Riya yogi

Others

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Riya yogi

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प्रेम........

प्रेम........

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प्रेम भले हो आधा सा 

मगर हो कृष्ण और राधा सा,

जिस्म भले ही न मिले ,

रूह से बंधा हो एक धागा सा ,

न कोई बंधन , न हो संगम 

न हो कोई वादा सा....

जब भी मिले राधा कृष्ण....

तो लगे कृष्ण बस राधा सा....।।


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