मेहनत
मेहनत
मेहनत किसी मौके की मोहताज नहीं होती
खोज में लगी रहती, बहाने बयान नहीं करती।
ठोकर खाने के बाद भी अपाहिज नहीं होती
आने वाले हर एक पल का आदर है वह करती।
खफा नहीं होती वह, बार बार के गिर जाने से
रोकती नहीं अपने कदम किसी भी बहकावे से
एक कहानी बनती है, बार बार की कोशिश से
मंज़िल मिल ही जाती है अपने हाथ बढ़ाने से।
सबल से अपने, मन को शक्तिशाली बनाते हैं
मनोबल से अपने, संतोष को हथियार बनाते हैं।
हल्के-हल्के मुश्किल बाधाओं को पार करते हैं
दुनिया की बड़ी महफ़िल में अपना मान बढ़ाते हैं।
