ना हो कभी
ना हो कभी
कहने को है
बाते हज़ारों
पर होंठ हिलते नहीं
करीब तो है
हम मगर
फ़ासले मिट ते नहीं
कैसे तुझे समझाऊँ
कितना हूँ तन्हा यहाँ
और कोई ख्वायीश नहीं
बस दे दे मुझे
तू वफा
ना हो कभी तू जुदा
ना हो कभी तू खफा
दिल मेरा एक canvas जेसा
तेरा ही चेहरा बनए
मै भी बेबस हू अब
केसे प्यार छुपायें
हर घड़ी तेरी कमी
मिल जाये तू
मुझको अभी
वक़्त का क्या भरोसा
ना हो कभी तू जुदा
ना हो कभी तू खफा
धड़कने मेरी बढा देता है
एक दीदार तेरा
अपने होश खो देता हूँ
ऐसा है खुमार तेरा
तन्हा हूँ मैं
इस कदर
आता नहीं क्यू
तुझको नज़र
जाने क्यूँ है ये अन्धेरा
ना हो कभी तू जुदा
ना हो कभी तू खफा।