STORYMIRROR

Mayur Krishna

Drama Tragedy

4  

Mayur Krishna

Drama Tragedy

ना हो कभी

ना हो कभी

1 min
195

कहने को है

बाते हज़ारों

पर होंठ हिलते नहीं

करीब तो है

हम मगर

फ़ासले मिट ते नहीं

कैसे तुझे समझाऊँ


कितना हूँ तन्हा यहाँ

और कोई ख्वायीश नहीं

बस दे दे मुझे

तू वफा

ना हो कभी तू जुदा

ना हो कभी तू खफा


दिल मेरा एक canvas जेसा

तेरा ही चेहरा बनए

मै भी बेबस हू अब

केसे प्यार छुपायें

हर घड़ी तेरी कमी

मिल जाये तू


मुझको अभी

वक़्त का क्या भरोसा

ना हो कभी तू जुदा

ना हो कभी तू खफा


धड़कने मेरी बढा देता है

एक दीदार तेरा

अपने होश खो देता हूँ

ऐसा है खुमार तेरा

तन्हा हूँ मैं


इस कदर

आता नहीं क्यू

तुझको नज़र

जाने क्यूँ है ये अन्धेरा

ना हो कभी तू जुदा

ना हो कभी तू खफा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama