तू है
तू है
क्यों हर रास्ते मुझे तेरी ही मंज़िल बताते है ?
क्यों हर मुसाफिर उस रास्ते पर
मुझे तेरी ही ख़ैरियत बताता है ?
क्यों हर सुबह तुजसे शुरू
और हर रात तुजसे खत्म होती है?
क्यों हर दूसरे घंटे तेरी याद मुझे सताती है ?
क्यों सब कूछ जानकर
खुदको इतना समझाकर,
बद-नशीब किस्मत से सहमति कर
उन उम्मीदों से डर कर,
क्यों हर बार किस्मत तुझसे टकराती है ?
और क्यों सच जानकर भी
झूठी उम्मीदें जाग जाती हैं ?
क्यों मेरी सबसे बड़ी खुशी की वजह तू है ?
क्यों मेरे दुखो का अंत तू है ?
गौर कर मेरे ऊपर के लफ़्ज़ों पे
क्योंकि समझ गए सब है
पर तू क्यों नहीं समझ रहा कि
मेरी दिल की राह पर अब तू है।