Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Diya Jain

Drama Romance

4.7  

Diya Jain

Drama Romance

तू है

तू है

1 min
697


क्यों हर रास्ते मुझे तेरी ही मंज़िल बताते है ?

क्यों हर मुसाफिर उस रास्ते पर

मुझे तेरी ही ख़ैरियत बताता है ?


क्यों हर सुबह तुजसे शुरू

और हर रात तुजसे खत्म होती है?

क्यों हर दूसरे घंटे तेरी याद मुझे सताती है ?


क्यों सब कूछ जानकर

खुदको इतना समझाकर,

बद-नशीब किस्मत से सहमति कर

उन उम्मीदों से डर कर,


क्यों हर बार किस्मत तुझसे टकराती है ?

और क्यों सच जानकर भी

झूठी उम्मीदें जाग जाती हैं ?


क्यों मेरी सबसे बड़ी खुशी की वजह तू है ?

क्यों मेरे दुखो का अंत तू है ?

गौर कर मेरे ऊपर के लफ़्ज़ों पे

क्योंकि समझ गए सब है 

पर तू क्यों नहीं समझ रहा कि

मेरी दिल की राह पर अब तू है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Diya Jain

Similar hindi poem from Drama