जीवन अनुभव
जीवन अनुभव
कभी रोमांच से तन - मन हमारा पुलकित हो जाता l
कभी भावुक हो नयनों से अश्रुओं की झड़ी लगता l
कभी रिश्तों की चौपाल सजाता, कभी भीड़ में अकेला रह जाता l
होते हैं कितने विचित्र ऐ जीवन के यह हमारे अनुभव l
यहां कभी खुशियों की बहार ही बहार है l
कभी बीच भंवर में फंसी नैया, बिना पतवार है l
जैसा हो जीवन का अनुभव जाना तो हर हाल में उस पार है l
होते हैं कितने विचित्र ऐ जीवन के हमारे अनुभव l
कभी जरा सी हवा चली तो बिखर जाता है सपनों का महल l
कभी नकारात्मक विचारों में फंसकर दिल जाता है दहल l
कभी कमर कसके आशाओं का दामन थाम करता है नई पहल l
होते हैं कितने विचित्र ये जीवन के हमारे अनुभव l
कभी कोई बड़ी सबक सिखाता, दिन में तारे हमें दिखाता l
मोह माया के मृग मरीचिका में फंसा, हमारा मन भरमाता l
कभी हंसाता, कभी रुलाता, जाने क्या-क्या ऐ खेल दिखाता l
होते हैं कितने विचित्र है ये जीवन के हमारे अनुभव l
कभी आशा, कभी निराशा में जीवन उलझकर रह जाता l
कभी अतीत की यादों में, कभी भविष्य के ख्वाबों में खो जाता l
कभी सुनहरे अवसर को खोकर, हाथ मलता और पछताता l