जज़्बातों से खिलवाड़
जज़्बातों से खिलवाड़
जज्बातों से यूँ खिलवाड़ न कर..
हैं गर मोहब्बत तो इंकार न कर//१//
इश्क़ वो एक लाइलाज़ वबा हैं..
इसलिए कहता हूँ प्यार न कर//२//
ग़ुम हैं वो किसी की मोहब्बत में..
लौट आने का इंतज़ार न कर//३//
संभाल जरा ख़ुद को और दिल को..
उसकी याद में जीवन बेकार न कर//४//
आकर ख़्वाबों में यूँ रोज-रोज तूम..
और इस दिल को बेक़रार न कर//५//
ताउम्र निभाता रहूँगा वो प्यार मैं..
बात कर के तू यूँ उपकार न कर//६//
p>इश्क़ था पाकीज़ा सा प्यारा प्यारा..
इस मरासिम को शर्मसार न कर//७//
तू ख़ुश रहना सदा तुम हो जहाँ..
मिरे उस रिश्ते में तो दरार न कर//८//
तू सुकूँ दिल की मैं धड़कन तेरा..
हम समझ गए तू इक़रार न कर//९//
हमसे उन्होंने कहा था कई दफ़ा..
सौदाई मुझ पर यूँ एतबार न कर//१०//
जज्बातों से यूँ खिलवाड़ न कर..
हैं गर मोहब्बत तो इंकार न कर//११//
इश्क़ वो एक लाइलाज़ वबा हैं..
इसलिए कहता हूँ प्यार न कर//१२//