बरसों पुरानी सी वो यादें थीं एहसास तो उसका क्या ही कहें आज हम। बरसों पुरानी सी वो यादें थीं एहसास तो उसका क्या ही कहें आज हम।
कितना रोका वो ही नहीं, शायद मेरा था ही नहीं। कितना रोका वो ही नहीं, शायद मेरा था ही नहीं।
ये छाया जो सुरूर है, एक मुसाफ़िर अपनी ही धुन में मशगूल है। ये छाया जो सुरूर है, एक मुसाफ़िर अपनी ही धुन में मशगूल है।
तेरी बेरूख़ी का ज़हर पिया नहीं है अब तक तेरी बेरूख़ी का ज़हर पिया नहीं है अब तक
ये सफ़र तन्हा भी खूबसरत हैं, ये महज शुरूआत थी अभी तो काफ़ी लम्बा सफ़र है, ये सफ़र तन्हा भी खूबसरत हैं, ये महज शुरूआत थी अभी तो काफ़ी लम्बा सफ़र है,
ज़िन्दगी तो रंगमंच है, यहां हर दिन बनते बिगड़ते किरदार है। ज़िन्दगी तो रंगमंच है, यहां हर दिन बनते बिगड़ते किरदार है।