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NIRAJ PATEL

Abstract

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NIRAJ PATEL

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पुरानी यादें

पुरानी यादें

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बरसों पुरानी सी वो यादें थीं एहसास तो उसका क्या ही कहें आज हम

कुछ दिलचस्प सी उसकी बातें थी जिक्र तो उसका क्या ही करें आज हम

वाक़िफ थे जिसके मुक्कदर से फरियाद तो उसकी क्या ही करें आज हम

मासूम सी जिसकी मुहब्बत थी नुमाइश तो उसकी क्या ही करें आज हम

हकीकत सी थी वो ज़िंदगी की दर्द उसका क्या ही कहें आज हम

खुद लफ्जो की वो मल्लिका थी अफसाना तो उसका क्या ही लिखे आज हम।



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