शायद वो तू नहीं है
शायद वो तू नहीं है
बचपन में मेरी मां की
कहानियों में जो "परी"
हुआ करती थी
शायद वो तू नहीं है
आसमान के चांद में
जिसकी धुंधली तस्वीर
मुझे हर रोज दिखा करती थी
शायद वो तू नहीं है
बचपन के ख्वाब में
मोटे गोलू मोलू मॉनस्टर से
जो मेरे लिए लड़ा करती थी
शायद वो तू नहीं है
मां ने कहा था
एक दिन वो "परी" आयेगी
खुद से ज्यादा तुझसे
प्यार किया करेगी
पर शायद वो तू नहीं है।।
