Unveiling the Enchanting Journey of a 14-Year-Old & Discover Life's Secrets Through 'My Slice of Life'. Grab it NOW!!
Unveiling the Enchanting Journey of a 14-Year-Old & Discover Life's Secrets Through 'My Slice of Life'. Grab it NOW!!

Goldi Mishra

Abstract

4  

Goldi Mishra

Abstract

रंग मंच

रंग मंच

2 mins
268


कुछ तो बाकी रह गया था,

क्यों वो मुड़ कर पीछे देख रहा था,

भीगी आंखे थी हमारी,

राहें अब अलग हो चुकी थी हमारी,


ना जाने क्यों लगा कि कुछ तो कहना बाकी रह गाया था,

ना जाने क्यों दिल एक मुलाकात मांग रहा था,

बीते पलों में इतने कांच के टुकड़े बिखरे है,

डर लगता है कहीं ये टुकड़े घाव गहरा ना दे दे,


हमने महफ़िलो में जाना छोड़ दिया है,

डर लगता है कहीं कोई तेरा ज़िक्र ना छेड़ दे,

कसूर दोनों का बराबर का था,

दर्द दोनों को बराबर हुआ था,


बड़ी खूबसूरत नादानी से थे तुम,

पल में पास पल में ओझल थे तुम,

पहले जैसा अब कुछ नहीं रहा,

ना पहली जैसी शाम है ना पहले जैसा सवेरा रहा,


एक कमी सी खलती है,

तुम्हारी जगह जो दिल में खाली है वो आज भी चुभती है,

हर सुबह एक नई आस में जागा करते है,

अब भूल जाएंगे सब खुद से ये वादा रोज़ किया करते है,


दिल दिमाग से तुम्हारी यादों का कोहरा छटता ही नहीं,

जाने अनजाने हर लम्हे में तुम हो पर मेरे साथ नहीं,

नजदीकियां हद से ज्यादा हो गई थी,

तभी उम्र भर की दूरी मिली थी,


तुम्हे ज़िन्दगी समझ लिया था,

तभी तुम्हे भूलना आसान ना था,

तुम्हारी यादें मुझे भरी भीड़ में तन्हा कर जाती है,

याद करूँ जो बातें तुम्हारी तो ये आंखें नम हो जाती है,


दिल चाहता है एक बार मुलाकात हो जाए,

ये उलझन ये बेगाना पन सब दूर हो जाए,

तुम पल भर में दिल के इतने करीब आ गए थे,

मेरे होठ खामोश होते थे पर तुम मेरी आंखें पढ़ा करते थे,


एक कहानी थी तुम्हारी मेरी जो ख़तम हो गई,

लाखो अधूरे है किस्से श्याद कहानी हमारी भी अधूरी रहगई,

तनहाई नहीं चुभती तन्हा छोड़ देने वाला चुभा करता है,

दिल लगाना अक्सर दिल को कमजोर बनाया करता है,


भूल शायद हमसे हो गई,

तुम्हे समझने में काफी देर हो गई,

ज़िन्दगी तो रंगमंच है,

यहां हर दिन बनते बिगड़ते किरदार है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Goldi Mishra

Similar hindi poem from Abstract