होली का संदेश
होली का संदेश
नफरत-घृणा का करें होली में दाह,भाई-चारा तो है हर दिल की चाह
बात हमें हर दिल तक पहुॅ॑चानी है, सीख हम सबको है हर त्योहार की
प्रेम भरी दुनिया में कोई जगह ही न हो, किसी भी तरह की तकरार की
आज निराशा भरे इस जहां में, सब ही तो गम के मारे मिलेंगे
प्रेम दुनिया से ही मिट सा रहा है, हमें वे सौ फसाने सुना के कहेंगे
खुश होने की बजह मिलती नहीं, पर है आशा उन्हें एक चमत्कार की
उत्सव सभी और त्योहार सब,जीवन में लाते नया एक सवेरा
प्यार लेने को तो हर कोई तैयार है,बस देने में करते तेरा- मेरा
फर्क जो मिटे अपने बेगाने का, तो जग में बहे निर्मल धारा प्यार की
प्रभु ने तो दी थी यह दुनिया हमें, सोचा मिल-जुलकर सारे रहेंगे
जब एक प्रभु की हम संतान हैं, तो हम कुटुम्बी ही बनकर हंसेंगे
बहलें न हम किसी के भरमाने से, ऐसी उम्मीद है उस करतार की
नफरत - घृणा का करें होली में दाह, भाई-चारा तो है हर दिल की चाह
बात हमें हर दिल तक पहुॅ॑चानी है,सीख हम सबको है हर त्योहार की
प्रेम भरी दुनिया में कोई जगह ही न हो, किसी तरह की तकरार की
नफरत दिलों से मिटकर बहे, हर दिल में निर्मल गंगा पावन प्यार की।
