अलविदा
अलविदा
जो नसीब में ना था उससे दिल लगा बैठे,
नादान थे हम जो उनके फरेब को इश्क़ समझ बैठे,
कुछ पाने की चाह में निकले और बहुत कुछ खो गया,
जिस रास्ते था जाना उसका पता भी खो गया,
ना जाने ये कैसा सितम है,
कैसी अजीब सी हलचल हर पल है,
कोई रोक ले इस जाते वक़्त को,
कोई सवार दे उजड़े इस दिल को,
जो नसीब में ना था उससे दिल लगा बैठे,
नादान थे हम जो उनके फरेब को इश्क़ समझ बैठे,
ना किया था कोई गुनहा फिर भी मुजरिम बन गए,
वो बिना कोई खबर दिए ना जाने कहा चलें गए,
जिन आंखों में सिर्फ इश्क़ देखा था
आज उनमें सिर्फ नफ़रत नज़र आई,
जो होठ कभी ना रहते थे चुप
आज उनमें ख़ामोशी ठहरी नज़र अाई,
आकर ज़िन्दगी से वो तो चले गए,
ना जाने क्यों अपनी यादे हमारे पास ही छोड़ गए,
जो नसीब में ना था उससे दिल लगा बैठे,
नादान थे हम जो उनके फरेब को इश्क़ समझ बैठे,
वो कहते है मेरे अंदर कुछ कमी थी,
मैं अधूरी भी बहुत खुश थी,
जिसकी खैर की दुआ दिन रात थी मांगी
वो उम्र भर के ज़ख्म दे गया,
जो खाया करता था मुझ पर मर मिटने की कसमें
आज मुझसे वो हर नाता तोड़ गया,
काफी कुछ कहना चाहती थी उसकी आंखें,
आज सारी रात जी भर के रोना चाहती थी मेरी आंखें,
जो नसीब में ना था उससे दिल लगा बैठे,
नादान थे हम जो उनके फरेब को इश्क़ समझ बैठे,
मुझसे नज़रें चुरा कर वो अलविदा कह गए,
भरी महफ़िल में वो मुझे अकेला छोड़ गए,
हमने भी हर टुकड़े को जोड़ने की कोशिश की,
इस किस्से को भुलाने की हर मुमकिन कोशिश की,
ये सफ़र तन्हा भी खूबसरत हैं,
ये महज शुरूआत थी अभी तो काफ़ी लम्बा सफ़र है।