राँखी , उसकी कलाई पर
राँखी , उसकी कलाई पर


बहन भी तो आँच
ना आने देती भाई पर
फिर भाई भी तो बांध सकता है
राखी उसकी कलाई पर
बहन ना भूले प्यार अपना
ना भाई के साथ को
फिर भाई तो सज़ा सकता है
बहन के हाथ को
छोटा हो या बड़ा भाई
उसके लिए बराबर है
माँ सी ममता सबके लिए
करती सबका आदर है
भाई की भलाई के लिए
जो उस पर गुस्सा करती है
परिवार में सबसे ज्यादा
भाई के लिए लड़ती है
अपना मन मार लेती है
भाई की फ़रमाइश पर
फिर भाई भी तो बांध सकता है
राखी उसकी कलाई पर
वक़्त बे-वक़्त की भूख
बहन ही तो मिटाती है
कोई ना हो घर में तो
खाना वो ही खिलाती है
झूठा बटवांरा कर लेती जो
भाई से लड़ाई पर
फिर भाई भी तो बांध सकता है
राखी उसकी कलाई पर
उसको कमजोर समझकर
ये राखी मत बंधवाना तुम
अपना अंहकार वाला प्यार
मत उसको दिखलाना तुम
तुमसे ज्यादा विजयी हुई है
वो ज़िंदगी की लड़ाई पर
फिर भाई भी तो बांध सकता है
राखी उसकी कलाई पर।