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Shweta Rani Dwivedi

Others

4.5  

Shweta Rani Dwivedi

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समुद्र

समुद्र

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समुद्र के ज्वार-भाटा के समान मनुष्य के जीवन में

 सुख-दुख आता-जाता।


समुद्र में गया सामान जैसे एक तट से जा कर

दूसरे तट पर वापस आता, वैसे ही कर्मों का हिसाब

मनुष्य इस संसार में पाता।


समुद्र मे ज्वार आने से मनुष्य का मन आनंदित,

पुलकित हो जाता, लहरों के थमते ही थम सा जाता,

जैसे दुख आते ही समय थम सा जाता।


समुद्र तट से सूर्य को उगते और डूबते देख मन हर्षित

हो जाता, सुबह की चंचल किरणों के साथ लाल-लाल प्रकाश लिए,नभ में सूरज आता, अंधकार को मिटाकर कोसों दूर उजाला फैलाता।


दूर तक फैले समुद्र की आभा देखकर,उसका छोर

समझ न आता, धरती आकाश का यह मिलन

मन को बहुत भाता।


 समुद्र के पानी में सूरज की चमकती किरणें हीरे

 से प्रतीत होती ,इन सुंदर लहरों के पानी में एक मधुर संगीत की आवाज भी आती।


समुद्र को कम समझने की भूल ना करना, जब इस मे तूफान आता, यह सब कुछ तबाह कर जाता,जितना शांत रहता, समय आने पर उतना उफान मचाता।


(भगवान श्री हरी विष्णु को यह समुद्र बहुत भाता,

इसलिए माता लक्ष्मी के साथ, शेषनाग की शैय्या पर भगवान श्री हरि विष्णु सदैव से विराजमान है |)



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