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Shweta Rani Dwivedi

Tragedy Inspirational

4.7  

Shweta Rani Dwivedi

Tragedy Inspirational

प्रकृति

प्रकृति

2 mins
330


प्रकृति से हम सब कुछ पाते हैं

 और उसे कुछ दे नहीं पाते है|


 स्वार्थ के वशीभूत अंधा मनुष्य

 अपना स्वार्थ बस सिद्ध कर पाता है,

 इस प्रकृति को कुछ दे नहीं पाता है |


 इस प्रकृति मां ने हमको क्या नहीं दिया

 सब कुछ  इसी मे मिल जाता है,

 पर इंसान कभी समझ नहीं पाता है |


 स्वार्थ के वशीभूत होकर

पेड़ों को काटता चला जाता है,

 एक  दिन सांस के लिए भी तरस जाएगा

 यह समझ नहीं पाता है |


 स्वार्थ के वशीभूत होकर मनुष्य

 नदियों के पानी में केमिकल को बहाता जाता है

 एक दिन उसको पीने के लिए पर्याप्त जल बिना होगा

यह वह समझ नहीं पाता है |


 स्वार्थ के वशीभूत होकर मनुष्य

 हवा को भी धुँर्मिल कर जाता है 

 एक दिन आसमान तो होगा पर वह सांस नहीं

लेे पाएगा वह समझ नहीं पाता है


 स्वार्थ के वशीभूत होकर मनुष्य

 प्रकृति का दोहन करता चला जाता है

 एक  दिन कुछ ना बचेगा

किसी के लिए समझ नहीं पाता है


 स्वा

र्थ के वशीभूत होकर मनुष्य

 दूसरों का अधिकार खाता है

 खाता चला जाता है

 यह पचा ना पाएगा वह समझ नहीं पाता है

 दिन रात गोली दवाइयां खाता है

बीमारियों से लड़ता जाता है


 "इतने स्वार्थी ना हो जाइए कि अपनी प्रकृति मां को भूल जाइए,

 हमारेेेेेेेेेेेेेेेेेे ग्रंथों में दिए गए बहुत से नियम प्रकृति को बचाने के लिए ही है,

 हम सोचते ही रह जाते हैं कि यह नियम लोग क्यों बनाते हैं,

 शायद हमारे पूर्वज बहुत बुद्धिमान थे वह जानते थे कि

 लोग इतने स्वार्थी हो जाएंगे की प्रकृति मां को ही भूल

जाएंगे,

कोमा मेंं उन्हें सुला आएंगे और कुछ दिनों के बाद वह

भूखे ही रह जाएंगे,

 दवाई और गोलियां खाएंगे,

 स्वार्थ यदि सब ने अपना ना छोड़ा

 तो प्रकृति की नाराजगी हम सह नहीं पाएंगे

 और एक बेहतर कल अपने बच्चों को दे नहीं पाएंगे

 तो चलो फिर आज से शुरुआत करें

 प्रकृति को बचाएं,

 उसकी रक्षा करें और दूसरों को भी रक्षा करना सिखाए,

ताकि इस प्रकृति के साथ होने वालेेेेे गलत कृतियों

को  रोक पाए."



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