Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dr . Anjana Kumar ' Kanpur '

Drama

4  

Dr . Anjana Kumar ' Kanpur '

Drama

हां मैं नारी हूं

हां मैं नारी हूं

1 min
285


मैं घर की भी हूं बेघर भी

बैठाकर मंदिर में हुई जार जार भी

देवता बनकर कभी मैं पूजी गई

कभी हो गई मैं दरबदर भी


ओस से जब मिला मुझे आकार

बन गई कभी मैं गौहर भी

सब कुछ जलता जलता सा है

देखा है मैंने जोहर का मंज़र भी


कभी बनी में क्षत्राणी कभी बनी मैं धाय भी

रक्षा करके रण सपूतों का पूरा किया ममत्व भी

ख्वाहिशों के मेरे मिलती हकीकत नहीं

मतलब मैं उपजाऊ भी हूं बंजर भी


मुझ में है सागर सा धैर्य

तभी तो खो जाता मुझ में दरिया भी

मैं हूं वह मर्यादा की रेखा

जिसे तोड़ ना पाया कभी रावण भी


बनकर मीराबाई हुई प्रेम में पागल

हंसकर पी लिया विष का प्याला भी

नहीं है मुझको मोह खुद से

तभी तो हर रूप में प्रकृति ने मुझको ढाला भी


मुझ को कम में मत है आंको

मैं सीता भी हूं मैं ही चंडी भी

उठा लिया जब व्रत उद्धार का

ले आऊंगी संसार में प्रलय भी।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Dr . Anjana Kumar ' Kanpur '

Similar hindi poem from Drama