ख़बर.....कविता की मौत....???
ख़बर.....कविता की मौत....???
अभी कुछ दिन ही तो हुए थे,
जन्में उसे...
अभी घुटनों से होकर,
चलना सीखा था ,
जहाँ कोई बिम्ब दिखता,
दौड़ती पीछे ।
हर छाँव पकड़ने की,
कोशिश.. की शायद...
धूप से बचा पाए..या.की
सुकूं से उसमें कुछ नया सृजन हो ।
संभावनाएँ सभी थी...खैर...
अ से आस..और ख से खुशी ....
तलाशती ख से खुद मे खोई ,
तभी समानांतर से मिला कोई..
कहने लगा..तुम खांचें मे फिट नहीं,
अभी बहुत लंबी राह है ।
उसने खुद को बदलना चाहा...
बदल न सकी ,
कैसे बदलती ?
पीडा की जन्मजा थी,
अवसाद की बूंदों से उत्पन्ना ,
विरोध का स्वर थी,
आत्मीयता की तलाश ।
मन की कितनी ही,
विद्रूपताओं से लड़ती,
बर्फ़ की मानिंद जमे
आर पार दिखते
पानी के जमाव से
जन्मी थी जो ।
उड़ते पंछियों के परों पर
बैठ जाना चाहती,
बादल को परिवार संग बहते देख
मुस्कुराती ,
पहली किरण जो सूरज की
पी कर..नव जीवन पा जाती ।
पीपल..नीम के झड़ते पत्तों से
कहती संदेश की बातें,
हवा की मानिंद,
ख़यालों को बिखेरती ।
पर कुछ हुआ ऐसा
कि,देखा आदम जात को
बिलखते,
गोद में गर्भ किया रक्त से सनी
माँ की पीड़ा,
पिता के कांधे चढ़े..
रोटी की आस में .
सांस को तरसते भविष्य देश के ।
यहाँ मिले उसे राह मे,
तजने वाले,
अभी अभी तो
दो चार कदम बढ़े थे..
कि..चोट लगा बैठी..
सिसकती थी..पर आह न भरती
स्व से लड़ती..
कितने ही घाव थे ,जो रीस रहे,
आह !! हर बार की तरह फिर..
आहत हुई जाती है..
जाने कैसे कैसे शर से थी घायल,
अब सांस भी उख़ड़ती जा रही है।
वो देखो....जाने कैसे...
अंतहीन............. यात्रा पर चली जाती है...
.....कविता............???