एक दिन की छुट्टी
एक दिन की छुट्टी
कभी कभी सोचती हूं के
बहुत थक गई हूँ
दिल करता है के बस,
एक दिन की छुट्टी मिल जाए...
चाहती हूं की कहीं घूमने चली जाऊं,
पहाड़, हवाएं, हरियाली और वो पानी,
दिल करता है के किसी दिन बस खुद में खो जाऊं ...
रोज़ रोज़ वो ही कुछ चार दीवारें, अब मन को भाती नहीं है
वही सुबह, वही शाम और वही रात, अब कुछ नया बतलाती नहीं है...
ये जानते हुए भी की,
एक नया दिन, एक नया रूप और नया रंग लेकर आता है,
पर अब कुछ बदल नहीं सकता,
जीवन कुछ इस तरह से थाम सा गया है...
कभी कभी सोचती हूं के
बहुत थक गई हूँ
दिल करता है के बस,
एक दिन की छुट्टी मिल जाए...