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Sonali Ghosh

Abstract Drama

4  

Sonali Ghosh

Abstract Drama

रिश्तों का सिलसिला

रिश्तों का सिलसिला

1 min
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फ़िक्र मुझे इस बात की नहीं की

तुम्हें किसी और से प्यार है


फ़िक्र मुझे इस बात की है की

तुम मेरे अपनेपन के आदि हो


मैं दोस्ती के पर्दों में अपनी मोहब्बत छुपा तो लूँ

लेकिन तुम्हारे बटे हुए मन का क्या?


अभी नया नया प्यार है

कल नोक झोक भी होगी,

फिर ढूंढोगे इस दोस्ती के कंधों को

अपना दर्द बाटने के लिए


काफी अजीब सा है ये

रिश्तों का सिलसिला,

बंधनों की बंदिश में

जीने के लिए ही बनी है,

लेकिन उसूलों और दायरों में बटी है.


और अगर ये सब इतना साफ़ और सहज है तो

फिर खुद को चुनना इतना मुश्किल क्यों होता है?


फ़िक्र मुझे इस बात की नहीं की

तुम किसी और से पहचान जोड़ चुके हो


फ़िक्र मुझे इस बात की है की

मैं कब तक तुम्हारी अपनी सी रह पाऊँगी


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