मां
मां
मां जैसे शब्द है एक जो जाना है मैंने बिन सिखाएं
तू है मेरी परी मां सबसे हंसी सबसे अलग
तुम तो हो जैसे कोई जादूगर
जाने कैसे जान ले तू
जो मैं ना कह पाऊं कुछ भी
पर भागी चली पीछे पीछे मेरे
खिलाए कभी और मनाए कभी
वैसे तो खिलौने है हजार जो लाए तुम ने
बड़े प्यार से मैं खेलूं हर खिलौने से बस एक बार
और हो जाऊं तलाश में कुछ और और
मुझे तो भाए तेरा यह अंचल
भला कोई खिलौना कैसे ले तेरी जगह मां
जन्नत है तेरी चरणों में तेरी डांट फटकार में भी
छिपी है ममता की फुहार
मां, हूं तो मैं तुमसे अलग
अलग जिसमें है अलग जन भी
तेरी मुस्कुराहट पर आसमान छू जाऊं मैं
तेरी आहट से तुझे पहचान जाऊं मैं
मेरी छोटी छोटी सफलता पर थपकी दे दो
प्यारी की हर गलती पर मेरे कान पकड़ सुधार भी दे
मेरी शरारतों पे मुस्काए
तू है ऐसी में सहनशीलता की मूरत
तुझसे नाराज ना होना चाहूंगा मैं कभी
पर चाहूं मनाए तू जो रूठ जाऊं मैं
दुनिया के लिए चाहे हो जाऊं पचपन की मैं
पर जो हो तुम सामने मेरे बचपन में लौट आऊं
तुम हो पहचान मेरी मां
हूं तो मैं तुमसे अलग
पर तेरी ही छवि हूं मैं मां।