हो तुम।
हो तुम।
मुरलीधर मोहन कि मनस्वी हो तुम।
खुशियों कि नन्ही शहजादी हो तुम।
मन को प्रफुल्लित करती आस्था हो तुम।
तुझे हर सुबह याद करूं ऐसी मनोकामना हो तुम।
मेरे लफ्जों में घुलने कि आदत हो तुम।
मेरे लिये सूरज कि किरणों से होती तपिश हो तुम।
मेरे मन तक पहुंचे ऐसी पहली शख्स हो तुम।
मेरी हंसी में दिखता मासूम सा चेहरा हो तुम।
यादों कि अच्छाई में पहली अच्छाई हो तुम।
सुकून कि साँसो में होती रूहानियत हो तुम।
सुरों को भी शरमाये ऐसी आवाज़ हो तुम।
कभी न मिटने वाली, मेरे दिल पर लिखी दासता हो तुम।