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Vadaliya Vasu

Abstract

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Vadaliya Vasu

Abstract

मुझे यकीन नहीं आता है।

मुझे यकीन नहीं आता है।

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पता चला आंधियो से 

समन्दर शैतान हो गया है।

मैं जबतक अपनी आंखो से

ना देखूं मुझे यकीन नहीं आता है।


मेने दिवारो से अंजाने मे

कुछ शेर कह दिये थे।

उसने खुद पर लिख दिये वो शेर

क्या इतने अच्छे थे, मुझे यकीन नहीं आता है।


किस तरहा बुलाऊ घने बादलो को

मेने आवाज़ लगाई खुले आसमान को।

गुज़रते पंछी, मेरा पैगाम लेकर उडे 

मुझे यकीन नहीं आता है।


चान्दनी ने सितारो को

झुमके की तरहा खुद पर सजाया है।

अब आईना कहा लेने जाती वो

देखकर मेरी आंखो मे, खुद को सवारा है

मुझे यकीन नहीं आता है।


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