STORYMIRROR

Vadaliya Vasu

Abstract

3  

Vadaliya Vasu

Abstract

खोफ करो

खोफ करो

1 min
141

जिंदगी की जुस्तजू किसे कहूं , कोई नहीं यहां,

मैं न कर सका , ऐसी दोस्ती अब तुम करो।


काम वही अच्छा जो आयतो(कुरान) और यज्ञ(गीता) लिखा है,

अगर कुछ ना कर सको , तो खुदा का खौफ करो।


जिंदगी लाने-ले जाने में इमदाद(मदद) करता है खून,

भुल कर दी उसे जिंदगी समझकर , मेरे खून मुझे माफ करो। 


एक ग़ज़ल में कितने किरदार समेट लेता हूं,

मैं तो यही करना चाहता हूं , तुम कुछ और करो।


अगर रिश्ते सजाने में रह गया तो खुद बिखर जाऊंगा एक दिन,

मेरे हक की दुनियादारी भी तुम करो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract