पहली मां।
पहली मां।
याद उस मां की जो सितारों में रह कर,
यहाँ मेरी हिफाज़त करती है।
पहले रोज़ खिलने की तरह सजाती मुझे,
आज भी मुझे उपर से आंख भर के देखती है।
तुम्हारी कोख से जुदा क्यूं किया मुझे,
जब तुम मेरे इतने करीब थी।
आज कोई ठोकर लगे तो आंसू तुम्हारे नाम के गिरते है,
जब तुम यहाँ थी तो मेरी हर खुशी दुगनी हुआ करती थी।
याद वो धुंधली सी जब उंगलियां तुम्हारी,
मेरे गालों पे चलती थी।
तुम मुझे खुब हँसाती,
और शहजादी कहती थी।
पापा को भी तुम कभी कभी ,
खूब याद आती हो।
वो अपना जी पत्थर कर लेते हे,
जब सामने तुम्हारी तस्वीर हो।
तेरी ममता ने तेरे बगैर भी,
जीने का हौसला दिया।
जाते जाते तुमने,
ये तोहफा भी अनमोल दिया।
बस ठीक से चलना सीखी थी,
तभी मेरा हाथ छोड़ दिया तुमने।
अब हर एक कदम सम्भाल के चलती हूँ,
जैसे बचपन की कहानियों में बताया था तुमने।
