मकसद
मकसद
मकसद तो था कुछ और,
उलझ गई विचारो की डोर !
हालात कुछ ऐसे थे कि हम गए अटक,
रास्ता गए भटक !
खेल हैं किस्मत और करम का भी,
इसीलिए यह मुमकिन नहीं,
हर मकसद को मिले उसकी मंजिल सही !
मकसद तो था कुछ और,
उलझ गई विचारो की डोर !
हालात कुछ ऐसे थे कि हम गए अटक,
रास्ता गए भटक !
खेल हैं किस्मत और करम का भी,
इसीलिए यह मुमकिन नहीं,
हर मकसद को मिले उसकी मंजिल सही !