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Kiran V

Drama

4.3  

Kiran V

Drama

मकसद

मकसद

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मकसद तो था कुछ और,

उलझ गई विचारो की डोर !


हालात कुछ ऐसे थे कि हम गए अटक,

रास्ता गए भटक !


खेल हैं किस्मत और करम का भी,

इसीलिए यह मुमकिन नहीं,


हर मकसद को मिले उसकी मंजिल सही !


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