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Vadaliya Vasu

Drama Thriller

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Vadaliya Vasu

Drama Thriller

हो जाऊँ

हो जाऊँ

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कोई झिलमिला के हमारी तरफ क्यों देखेगा,

बादल हटा दो ऊपर मैं चांद हो जाऊं।


उनकी खूबसूरती रंगीन फूल जैसी होगी,

मैं एक मुस्कान देखकर किसी का आसमान हो जाऊँ।


वारदात की कागज़ी कार्यवाही करनी होगी,

तुम ग़ज़ल तो लिखो में उनवान हो जाऊं।


एक तितली कितने फूलों के घर जाएगी,

उसकी खातिर पंख की ऊर्जा हो जाऊँ।


फुरसत मिले तो बात हो जाये जिंदगी से,

में किसी के जीने की उम्मीद हो जाऊं। 


बरसो बाद इन खतो को देखा है,

तुम्हें न आए ऐसी याद हो जाऊं।


सालो बीत गये उस पेड़ को देखे,

मरूँ फिर उसी शाख का पंछी हो जाऊं।


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