रो पड़ेगें हम।
रो पड़ेगें हम।
हाल कुछ यूं हुआ है हमारा,
अगर पुछोगे तो रो पड़ेंगे हम।
जो सपनों की दहलीज पर भी ना देखे हो,
ऐसे दिनों से गुज़र रहें हैं हम।
और कुछ नहीं बस एक रूह चाहिए,
खुदा तुझ से एक जिन्दगी उधार मांग रहे हैं हम।
ये शाम ढलने वाली हैं बरसो बाद,
उसके साथ बीते दिनों के सफर में हैं हम।
आंसुओं से गुंज उठा घर हमारा,
जाने वाले को दिलो-ओ-जान से रोक रहें थे हम।
तारो भरे आसमान का वो सितारा हो गया,
अब रात भर यादों के साथ उसे तकते हैं हम।