मेरे साथ बैठोगे, मैं कहानियां
मेरे साथ बैठोगे, मैं कहानियां
मेरे साथ बैठोगे ? मैं कहानियां सुनाऊंगा |
तुम संग चलना, मैं कुछ किरदारों से मिलवाऊंगा
नदी का किनारा होगा, बारिश होगी
गीत भी होंगे, चांदनी भी होगी
तुम गौर से सुन्ना, मैं तुम्हे अपनी दुनिया से रूबरू करवाऊंगा
मेरे साथ बैठोगे ? मैं कहानियां सुनाऊंगा |
तुम नज़रे मत चुराना, मैं कुछ किस्सों से वाक़िफ़ करवाऊंगा
शिक़वे होंगे, गलतियां होंगी
गीले भी होंगे, मोहब्बत भी होगी
मगर तुम हिम्मत से सुन्ना
मैं तुम्हें तुम्हारे फरेब से रूबरू कराऊंगा
मेरे साथ बैठोगे ? मैं कहानियां सुनाऊंगा |
तुम हाथ थामे रखना, मैं कुछ उमीदों के अफ़साने बतलाऊंगा
सपने होंगे , हसरतेें होंगी
अश्क़ भी होंगे , उदासी भी होगी
तुम धीरज से सुनना
मैं तुम्हेें अपनी चाहतों से रूबरू करवाऊंगा
मेरे साथ बैठोगे ? मैं कहानियां सुनाऊंगा |
तुम दूर मत जाना, मैं कुछ शामों की सैर पर ले जाऊंगा
अकेलापन होगा, खुद्दारी होगी
अँधेरा भी होगा, ख़ुदकुशी भी होगी
तुम बस साथ रहना
मैं तुम्हें अपनी बेबसी से रूबरू कराऊंगा
मेरे साथ बैठोगे....
खैर तुम एक अरसे बाद लौट कर आना
मैं ऐसी कहानियां लिख जाऊंगा
कलम सूख चुकी होगी, नज़्म जलकर राख हो चुकी होगी
पर कश्ती अब भी किनारे पर होगी,
गुनाहों की गंध भी बाकी होगी
मेरी कहानी पढोगे ? मैं तिश्नगी के कुछ अफ़साने बतलाऊंगा
मेरे साथ बैठोगे ? मैं कहानियां सुनाऊंगा |
