चाबी
चाबी
तुम बन गई हो मेरी खुशियों की चाबी।
तुमसे मिलने की रहती हर दम बेताबी।
तुम खोलती मेरी उलझनों के तालों को।
तुम ही जवाब देतीं सभी के सवालों को।
तुमने जब से मेरी जिंदगी में क़दम रखा।
मैंने सफलता का असली स्वाद है चखा।
तुमसे ही खुलता मेरी क़िस्मत का ताला।
चाबी बनकर तुमने मुझे ख़ूब है संभाला।