काश
काश
काश मुमकिन होता बारिश को बरसाना
तो पतझड़ को यूं बिखरने ना देते
काश आसान होता दिल को रिझाना
तो कभी किसी को रूसवा होने ना देते
काश सहज होता खुशियाँ बटोरना
तो कभी आँसुओं को यूं बहने ना देते
काश मुकम्मल हो जाती सारी मंजिले
तो सपनों को यूं बिखरने ना देते
काश मुश्किल ना होता किसी को भुलाना
तो यादों में इस तरह खोए ना रहते
काश मुमकिन होता जाने वाले को रोकना
तो दोस्ती को कभी खोने ना देते
काश पहले ही पता होता तेरा छोड़ जाना
तो तुमसे हम कभी मिलते ही नहीं थे
काश संभव होता खुद को संभालना
तो दिल को इस कदर बहकने ना देते