अनकहे जज्बात
अनकहे जज्बात


काश हर जज्बात को लफ्ज मिल जाते
जो दिल की हर बात बयान कर पाते
तो ना वो रातो की नींद को चुराते
और ना ही दिल में यू शोर मचाते
कभी बहने लगते है आँसुओ के साथ
तो कभी निभाते खामोश निगाहों का साथ
डरते है अगर कोई उन्हे समझ ना पाया
या फिर कहीं उनसे कोई रूठ जो गया
आखिर दिल में ही खुद को महफूज पा लिया
अल्फाजो ने भी अपना रूख मोड लिया!