दोस्ती
दोस्ती
पहचान तो थी काफी वक्त से,
अभी आप को जानने लगे है
अनजान से दो शक्स अभी
धीरे धीरे दोस्त बनने लगे है
दोस्ती का रिश्ता भी क्या कमाल
करता है
पल भर में ही आप को तू बना
देता है
दोस्ती का हाथ बढ़ाना तूझे खूब
आता है
पर तूने पर्सनालिटी ऐसी पाई है की
जी थोड़ा सा कतराता है
एक बार दोस्ती की तो उसे तू
निभाना जानती है
यही वजह से दोस्ती खुद को
तेरे पास मेहफूज़ समझती है
निकल पड़ी है तू नए रास्ते तेरे
हमसफर के साथ
तू बटोरते रहे सारी ख़ुशियाँ,
यही रहेगी हमारी फरीयाद
माना की अब हर दिन ना मिल पायेंगे,
और ना ढेर सारी बातें होगी
पर जिंदगी में चाहे जितने भी दोस्त बने,
तू हमेशा याद आएगी