लम्हे जिंदगी के
लम्हे जिंदगी के
बिताए हूए लम्हे यादों में सिमट गए
अतीत के पन्नो से लिपट कर जो रह गए
दिल करे वो लम्हें फिरसे दुबारा जिए जाए
वक्त कि रफ्तार को जरा पीछे कि तरफ घुमाया जाए
यूँ तो सारा सफर जिंदगी का लम्हो से ही बना है
फिर भी यादों ने चंद लम्हों को ही क्यूँ चुना है
अगर मिल ही गया था मौका, तो सिर्फ
सुनहरे लम्हों को चुनना था
गम से भरे लम्हो से उदास क्यूँ होना था
तब रूठे हूए लम्हे अब लगते है नादान
दर्द भरे लम्हें भुलाना तो आज भी नही आसान
तो कयूँ ना जिए जाए प्यार से, आने वाले वो सारे पल
जो जल्द ही तबदील हो जाऐंगेे बीते लम्हों मे कल
मुडकर जो हम याद करेंगे जब कभी ये लम्हे
मुस्कुराहट रहेगी लबो पर, भले ही नम क्युँ ना हों निगाहें।